FD Tax New Update : अब FD से कमाई पर देना होगा 10% टैक्स, इन तीन तरीको से बचा सकते है टैक्स

अगर आपने बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कर रखी है या करने की सोच रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए काफी जरूरी है। FD से जो ब्याज मिलता है, वो आपकी इनकम में जोड़ा जाता है और उस पर इनकम टैक्स (Income Tax Alert) के नियम लागू होते हैं। यानी FD से मिलने वाला ब्याज भी पूरी तरह टैक्स के दायरे में आता है।

कैसे लगता है FD पर टैक्स

जब आपकी सालाना ब्याज की कमाई एक तय सीमा से ज्यादा हो जाती है, तो बैंक उस पर TDS (Tax Deducted at Source) काट लेता हैं। अगर आप सामान्य खाताधारक हैं और आपकी सालाना ब्याज इनकम ₹40,000 से ज्यादा है, तो बैंक TDS काटेगा।

आप वरिष्ठ नागरिक हैं तो यह लिमिट आपके लिए ₹50,000 तक होगी। इसका मतलब है कि सालाना ₹50,000 तक की ब्याज आमदनी पर सीनियर सिटीजन को कोई टैक्स नहीं देना होता।

याद रखें, बैंक TDS तब काटता है जब ब्याज अकाउंट में जमा होता है, न कि FD की मेच्योरिटी पर।

FD पर टैक्स कब-कब कटता है

मान लीजिए आपने 3 साल के लिए FD ली है, तो बैंक हर साल ब्याज जोड़ते समय TDS काटेगा, भले ही आप पूरा पैसा मेच्योरिटी पर लें। इसका मतलब ये कि हर साल ब्याज को ITR में दिखाना जरूरी होता है, चाहे बैंक आपको लास्ट में एक साथ पैसा दे।

फिक्स्ड डिपाजिट पर टैक्स से कैसे बचा जा सकता है

अगर आपकी कुल सालाना इनकम ₹2.5 लाख से कम है, तो आप Form 15G या 15H भर सकते हैं। इससे बैंक TDS नहीं काटेगा। लेकिन अगर आपने ये फॉर्म नहीं भरा, और आपकी ब्याज इनकम (Income Tax Alert) लिमिट से ऊपर गई, तो बैंक 10% के हिसाब से TDS काटेगा।

FD पर टैक्स का एक उदाहरण

मान लीजिए रोहित ने ₹10 लाख की FD करवाई है, जिस पर सालाना ब्याज 6% के हिसाब से ₹60,000 बन रहा है। अब नियम के अनुसार यह ₹40,000 की लिमिट से ज्यादा है, तो ऐसे में बैंक इस पर 10% यानी ₹6,000 TDS काटेगा।

दूसरी ओर, शिव के पास दो FD हैं ₹1 लाख की, जो 6% सालाना पर ब्याज देती हैं। सालाना ब्याज ₹12,000 होगा, जो ₹40,000 से कम है – तो TDS नहीं कटेगा।

टैक्स बचाने के और भी तरीके | Income Tax Alert

  • Form 15G/15H फाइल करें – अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती।
  • एफडी पोस्ट ऑफिस में कराएं – वहां TDS कम लगता है, और कुछ मामलों में टैक्स सेविंग स्कीम्स भी होती हैं।
  • परिवार के नाम पर FD कराएं – जैसे बच्चों, जीवनसाथी या माता-पिता के नाम। हर व्यक्ति की इनकम अलग गिनी जाती है, तो टैक्स बचाया जा सकता है।

निष्कर्ष

फिक्स्ड डिपाजिट एक अच्छा और सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन इससे होने वाली ब्याज की कमाई टैक्स के दायरे में आती है, इसलिए आपको पहले से प्लानिंग करना जरूरी है। हर साल ब्याज को ITR में सही तरीके से दिखाएं, और अगर आप टैक्स (Income Tax Alert) नहीं देना चाहते तो 15G/15H जैसे फॉर्म्स का इस्तेमाल जरूर करें।

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