OPS Pension Scheme Update : पुरानी पेंशन योजना की वापसी पर जोर, जुलाई 2025 में पूरे देश में विरोध प्रदर्शन

देशभर के सरकारी कर्मचारी एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर सड़कों पर हैं। जुलाई 2025 में कई राज्यों में संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका सीधा आरोप है कि NPS (न्यू पेंशन स्कीम) में भविष्य की सुरक्षा नहीं है और OPS की बहाली ही एकमात्र समाधान है।

क्या है OPS और क्यों हो रही है इसकी मांग?

OPS, यानी पुरानी पेंशन योजना, एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें सरकारी कर्मचारियों को सेवा निवृत्ति के बाद तयशुदा मासिक पेंशन मिलती थी। यह पेंशन उनकी आखिरी तनख्वाह के आधार पर निर्धारित होती थी और इसमें महंगाई भत्ते का भी समावेश किया जाता था। लेकिन 2004 के बाद केंद्र सरकार ने इसे बंद करके NPS लागू कर दिया, जिसमें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि शेयर मार्केट और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स पर आधारित हो गई।

जुलाई 2025 की बड़ी घटनाएं:

  • मध्यप्रदेश में बड़ा प्रदर्शन

भोपाल में राज्य कर्मचारी महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर अगस्त तक OPS (OPS Pension Scheme) बहाल नहीं किया गया, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।

  • तमिलनाडु में शिक्षकों की हड़ताल

तिरुचिरापल्ली में हजारों शिक्षकों ने GO-243 के खिलाफ प्रदर्शन किया और OPS की वापसी की मांग रखी।

  • राज्य सरकारों पर दबाव बढ़ा

झारखंड, उत्तराखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो रही है। पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में OPS पहले से लागू हो चुका है।

  • केंद्र सरकार का रुख

केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि वह NPS को बेहतर बनाने के विकल्पों पर विचार कर रही है, लेकिन OPS की संपूर्ण बहाली अभी संभव नहीं है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, OPS से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों की राय

पेंशन विशेषज्ञ मानते हैं कि OPS सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर है। आर्थिक विशेषज्ञ चेताते हैं कि OPS भविष्य में आर्थिक दबाव बना सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पुराणी पेंशन स्कीम (OPS Pension Scheme) एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।

निष्कर्ष

जुलाई 2025 में ओपीएस पर बहस फिर से तेज हो गई है। कर्मचारी संगठनों का दबाव, राज्यों की राजनीतिक स्थिति और चुनावी समीकरण – सब कुछ इस योजना (OPS Pension Scheme) की वापसी को प्रभावित कर सकते हैं। आने वाले महीने इस विषय पर निर्णायक साबित हो सकते हैं।

Leave a Comment